बीज अधिनियम 1966 की धारा 5 के अंतर्गत अधिसूचित किस्में ही प्रमाणीकरण के लिए पात्र होंगी।
क्र. |
फसल |
किस्म |
1 |
सोयाबीन |
जे0एस0-335, जे0एस0- 72-280,श्श् जे0एस0- 75-46,जे0एस0-80-21, मेक-13, मेक-58, मेक्स-124,श् पूसा-16, पंजाब-1, अहिल्या-1, अहिल्या-2, अहिल्या-3, पी0के0-416,पी0के0-472, पी0के0-1024, पी0के01029, पी0के0-1042 |
2 |
मूंगफली |
जे0-11, जे0एल0-24, ए0के0-12-24, जी0जी0-20 |
3 |
उड़द |
टी-9, जे0यू0-3, जे0यू0-2, टी0पी0यू0-4, डब्ल्यू0बी0यू0-108, बरखा, पी0डी0यू0-1, पी0डी0यू0-2, पी0यू0-10, टी0ए0यू0-1, टी0ए0यू0-2 |
4 |
मूंग |
के-851, जे0एम0-721, बी0एम0-4, टर्म-2 |
5 |
अरहर |
आई0सी0पी0एल0-87,श् नंबर-148, आई0सी0पी0एल0-87-119, पी-9, पी-855, जे0ए0-4, जे0के0एम0-7 |
6 |
भिण्डी |
परभनी क्रांति, पी0एस0पी0-7 |
7 |
धान |
पूर्णिमा, पी0एन0आर0-381, महामाया, आई0आर0-64, आई0आर0-36, स्वर्णा, आदित्य, तुलसी, पूसा बासमती, अन्नदा, जे0डी0-75, कलिंगा-3, मासुरी, पी0-667, गोविंदा, जे0आर0-345, कलिंगा-3, त्रिगुणा |
8 |
संकर कपास |
जे0के0 एच-1, एच-6, एच-8, एच-10, डीसीएच-32 |
9 |
उन्नत कपास |
खण्डवा-2, विक्रम, के-3, एल0आर0ए0-51-66, ए-51-9, मालझरी, एल0आर0के0-516 |
10 |
संकर मक्का |
गंगा-5 व गंगा-2, पूसा अर्ली हायब्रिड-1, पूसा अर्ली हायब्रिड-2 |
11 |
उन्नत मक्का |
चंदन-3, कंचन, पूसा कम्पोजिट-1, पूसा कम्पोजिट-2, एन एल डी, जेएम-8 |
12 |
संकर ज्वार |
सी0एस0एच0-5,6,9 व 14 |
13 |
उन्नत ज्वार |
जे0जे0-1041, जे0जे0-938, सी0एस0व्ही-15, एसपीव्ही-462, एसपीव्ही-741 |
14 |
मिर्च |
पूसा ज्वाला, जयंती |
15 |
तिल |
जी-1, टी0के0जी0-21, टी0के0जी0-22, टी0के0जी0-55 |
16 |
बाजरा |
डब्ल्यू0सी0सी0-75, आई0सी0टी0पी0-8203, जे0बी0व्ही0-2 |
17 |
रामतिल |
आई0जी0पी0-76, उटकमण्ड |
बीज बोते समय की सावधानियाँ
- कृषकों को बीजोत्पादन हेतु बीज फसल उन खेतों में लगाना चाहिये, जिसका निरीक्षण सुगमता से किया जा सके तथा वर्षा ऋतु मे जहाँ तक पहुंचने में कठिनाई न हो।
- बीज फसल उन खेतों में लगाई जानी चाहिये जिनमें पूर्व में वही फसल बोई गई हो अथवा कम से कम किस्म बोई गई हो।
- कृषकों को विशेषकर संकर फसल आदि के लिये स्वयं थैली फाडकर आपस में बीजों का वितरण नहीं करना चाहिये।
- बीज बोने के बाद थैली पर लगे टैग, लेबल, बीज खरीदी की रसीद एवं खाली थैली को संभालकर रखना चाहिये जिससे बीज स्त्रोत का सत्यापन किया जा सके।
- बीज फसल की अन्य किस्मों से निर्धारित पृथक्करण दूरी रहनी चाहिये, जो स्वपरागित फसलों / फसलवार के लिये न्यूनतम 3 मीटर तथा पर परागित फसलों के लिये फसलवार निर्धारित है।
- बीज फसल की बुवाई से पूर्व सीडड्रिल को अच्छी तरह से साफ करना चाहिये तथा सीडड्रिल की एक नली को बंद कर दें, ताकि रोगिंग के समय कृषकों को खेत में चलने में आसानी हो।
- बीज फसल की बोनी सामान्य दर से ही की जावे, बीज दर बढ़ाकर बोनी नहीं की जावे।
फसल का रख रखाव
- निर्धारित मात्रा में खाद, कीटनाशक, नींदानाशक का उपयोग होना चाहिये !
- समय-समय पर पानी, निंदाई गुड़ाई का कार्य किया जाय। फसल से ज्यादा बड़ा व अधिक नींदा होने पर बीज फसल प्रमाणीकरण योग्य नहीं होगी।
- ऐसे रसायनों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिये, जो कि बीज फसल की गुणवत्ता को प्रभावित करती हो।
- बीज उत्पादन हेतु मिश्रित खेती न की जावे। अंतवर्ती फसलें जैसे सोयाबीन-अरहर ली जा सकती है।
- समय-समय पर बीज फसल में उपस्थित भिन्न फसलों या किस्मों के पौधों को उखाड़ना चाहिये।
- बीज फसल में उपस्थित बीज वायुजनित रोग ग्रस्त पोधों को समूल उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिये, जैसेश्श्-श्श्श्गेहूंश्श्का कंडवा रोग ।
- बीज फसल की कटाई ऐसे आधुनिक यंत्र से न की जाये, जिससे बीज के मिश्रण की संभावना हो या बीजश्श्5 प्रतिशत से ज्यादा कटता हो ।
- बीज को साफ बोरों जिस पर फसल, किस्म, श्रेणी व पंजीयन क्रमांक अंकित हो, भरा जाये तथा ऐसे स्थानों पर भंडारित न किया जाये, जहाँ फसल की गुणवत्ता खराब हो सकती है।
- निर्धारित तिथि के पूर्व बीज फसल को प्रक्रिया केन्द्र तक पहुंचायें एवं बीज प्रक्रिया की तिथि की जानकारी प्रभारी से लें ।
प्रमाणीकरण की विभिन्न अवस्थायें
- बीज स्त्रोत सत्यापन।
- फसल निरीक्षण।
- बीज प्रक्रिया एवं बीज परीक्षण ।
- टेगिंग सीलिंग व प्रमाण पत्र जारी करना।
बीज स्त्रोत सत्यापन
यह सिध्द करने के लिये कि प्रमाणीकरण हेतु आवेदित बीज प्लाट में मान्य स्त्रोत से बीज प्राप्त कर बोया गया है, प्रत्येक आवेदक कृषक को बीज के टेग, लेबल खाली थैलियाँ, खरीदी रिकार्ड, विक्रय रिकार्ड आदिश्श्आवेदन या प्रथम निरीक्षण के समय मांगे जाने पर दिखाना होंगे। |